सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलता मालिकाना हक! जानिए कौन सा दस्तावेज है जरूरी

प्रॉपर्टी खरीदने का सच

प्रॉपर्टी खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ रजिस्ट्री करवाने से आप उस प्रॉपर्टी के पूरे मालिक नहीं बन जाते? हाल ही में सरकार और कोर्ट ने साफ किया है कि मालिकाना हक पाने के लिए कुछ और दस्तावेज भी जरूरी हैं। यह खबर उन लोगों के लिए बहुत जरूरी है जो घर, दुकान या जमीन खरीदने की सोच रहे हैं। गलत दस्तावेजों की वजह से कई लोग धोखा खा जाते हैं और बाद में कानूनी पचड़े में फंस जाते हैं।

रजिस्ट्री क्या है?

रजिस्ट्री एक कानूनी दस्तावेज है, जो यह साबित करता है कि आपने प्रॉपर्टी खरीदी है। लेकिन यह अकेला मालिकाना हक की गारंटी नहीं देता। रजिस्ट्री में प्रॉपर्टी का ब्यौरा, खरीदार और ब Seller का नाम, और कीमत जैसी जानकारी होती है। फिर भी, अगर प्रॉपर्टी का पुराना मालिकाना हक साफ नहीं है, तो रजिस्ट्री के बाद भी दिक्कत हो सकती है। कोर्ट में कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां रजिस्ट्री होने के बावजूद मालिकाना हक पर सवाल उठे।

कौन से दस्तावेज हैं जरूरी?

मालिकाना हक पाने के लिए कुछ खास दस्तावेजों की जरूरत होती है। इनमें से सबसे अहम है म्यूटेशन (दाखिल-खारिज), जो यह साबित करता है कि प्रॉपर्टी आपके नाम पर सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके अलावा, प्रॉपर्टी का टाइटल डीड, एनओसी (No Objection Certificate), और पुराने मालिकों का रिकॉर्ड भी जरूरी है। अगर आपने बैंक से लोन लिया है, तो बैंक के दस्तावेज भी पूरे होने चाहिए। बिना इनके, आपकी प्रॉपर्टी पर दूसरों का दावा हो सकता है।

दस्तावेजमहत्व
रजिस्ट्रीप्रॉपर्टी खरीद का कानूनी सबूत
म्यूटेशन (दाखिल-खारिज)सरकारी रिकॉर्ड में मालिकाना हक दर्ज करना
टाइटल डीडप्रॉपर्टी का पूरा इतिहास और मालिकाना हक का सबूत
एनओसीकोई कानूनी विवाद नहीं होने का प्रमाण

म्यूटेशन क्यों है जरूरी?

म्यूटेशन यानी दाखिल-खारिज वह प्रक्रिया है, जिसमें प्रॉपर्टी का मालिकाना हक स्थानीय सरकारी दफ्तर, जैसे तहसील या नगर निगम, के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। अगर यह नहीं हुआ, तो रजिस्ट्री के बावजूद आप प्रॉपर्टी के कानूनी मालिक नहीं माने जाएंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपने जमीन खरीदी और म्यूटेशन नहीं करवाया, तो पुराने मालिक के नाम पर ही टैक्स और रिकॉर्ड रहेंगे। इससे भविष्य में विवाद हो सकता है। म्यूटेशन के लिए आपको तहसील में कुछ दस्तावेज, जैसे रजिस्ट्री, आधार कार्ड, और प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद जमा करनी होती है।

  • रजिस्ट्री की कॉपी
  • आधार कार्ड या पहचान पत्र
  • प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद
  • पुराने मालिक का एनओसी
  • म्यूटेशन फॉर्म (तहसील से मिलता है)

लोगों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, प्रॉपर्टी के पुराने रिकॉर्ड को अच्छे से जांच लें। यह सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज, कोर्ट केस, या अन्य दावा तो नहीं है। किसी वकील या प्रॉपर्टी विशेषज्ञ की मदद लें। म्यूटेशन करवाने में देरी न करें, क्योंकि यह आपका सबसे बड़ा कानूनी हक है। दिल्ली के राकेश शर्मा, जिन्होंने हाल ही में एक फ्लैट खरीदा, कहते हैं, “मुझे नहीं पता था कि म्यूटेशन इतना जरूरी है। वकील ने बताया, तब जाकर मैंने इसे पूरा किया।”

आगे क्या करें?

अगर आपने प्रॉपर्टी खरीद ली है, लेकिन म्यूटेशन नहीं करवाया, तो जल्द से जल्द तहसील या नगर निगम में जाकर यह प्रक्रिया पूरी करें। सरकार ने अब ऑनलाइन म्यूटेशन की सुविधा भी शुरू की है, जिससे आप घर बैठे आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आपको राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। अगर प्रॉपर्टी पुरानी है, तो टाइटल डीड और एनओसी की जांच करवाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना पूरी जानकारी के प्रॉपर्टी खरीदना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए, सावधानी बरतें और अपने मालिकाना हक को पक्का करें।

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